बैठो हमारे रूबरू




आओ, बैठो हमारे रूबरू, मेरे ख़ास हो जाओ,

दूरियों में जीना मुश्किल हो जाए, इतना पास हो जाओ,

हाथ थाम के अपने हाथों में मेरा, मेरे हम राज़ हो जाओ,

मेरे गीतों की सरगम, और होंठों का साज़ हो जाओ,

मेरी किस्मत में आओ ऐसे, के मेरा फ़राज़ हो जाओ

मेरी गज़लों में उतर के, तुम उनके अल्फाज़ हो जाओ,

आओ, बैठो हमारे रूबरू, मेरे ख़ास हो जाओ, 

अल्फाज़

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