कटे कटे से रहते हो तुम , मुझसे आँख चुराते हो
मेरे प्यार से रिश्ता तोड़ के तुम, क्या किसी और गली भी जाते हो?
मुझसे नजरें फेर के तुम किसी और से नज़रें मिलाते हो ?
पहेले तो न ऐसे तुम , तो अब क्यूँ सताते हो
कटे कटे से रहते हो तुम मुझसे आँख चुराते हो
- अल्फ़ाज़
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