ख़बर आई है

ख़बर आई है


ख़बर आई है के,

फूलों के गुलिस्ताँ में घर है उनका
चलो चलते हैं, उनके साथ रहकर देखते हैं। 

बहुत ही खुश मिजाज़ी दिखते हैं वो, 
चलो चलकर उन्हीं से बात कर के देखते हैं। 

नूर टपकता है, चेहरे से उनके हरदम, 
चलो एक बार उन्हें, आँखों में बसा कर देखते हैं। 

शौकीन हैं वो, नज़रों के खेल के, 
चलो उनसे भी नज़रें लड़ा कर देखते हैं। 

खेल जाते हैं वो खेल खेल में दिलों से, 
चलो एक बार उनका खिलौना बन कर देखते हैं। 

आब ए हयात् चूता है जिस्म से उनके, 
चलो उन्हें एक बार हम भी पीकर देखते हैं। 

ख़ुदा ने ख़ुद से तराशा है, बदन उनका, 
चलो, उस मूरत को इन हाथों से छू कर देखते हैं। 

ख़बर आई है के,

फूलों के गुलिस्ताँ में घर है उनका
चलो चलते हैं, उनके साथ रहकर देखते हैं। 


अल्फाज़

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