मेरे बस में कुछ नहीं


मेरे बस में कुछ नहीं


मेरे बस में नहीं कुछ , ये इश्क़ तो उनका है ।

बोया था जिन्होंने बीज ये, ये फल भी उन्हीं का है ।

हमारे खाते में तो वो , इंतज़ार लिखकर चले गये , 

भूखे तो बहुत हैं हम, पर कभी पेड़ को फल खाते देखा है ।।

 अल्फाज़

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