लिए फिरते ही दिल अपना


लिए फिरते ही दिल अपना



लिए फिरते हो दिल अपना , ज़रा बेचैन दिखते हो.

मुहब्बत की इन राहों के नये मेहमान लगते हो .

आँखे हैं बयाँ करती, तुम्हारा दर्द सीने का .

ज़रा जब खुल के जो खेलोगे, मज़ा आयेगा जीने का...



- अल्फ़ाज़

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