सु शांत




इस खुदगर्ज़ ज़माने से, हर दम लड़ना होगा,
खाकर चोटें जिस्म पर, फ़िर भी बढ़ना होगा,

यहाँ कोई अपना नहीं,
हर तरफ़ बेईमानी की बहुत ऊँची दीवार है,
यहाँ हर दिल, प्यार में नहीं, पैसे में बीमार है,,

मत टूटना यूँ मौत के आगे कभी, खातिर इनकी,
बुलंदियों के इरादों के तले इनको, रौंदना होगा।।

अल्फाज़

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