जब से नज़रों से मेरी वो टकरा गए ,
मेरे दिल की ज़मीं में वो घर कर गये
हम तो बिक से गए, उनकी मुस्कान पे
मेरी साँसों के वो , ख़रीदार बन गए
हैं नींद भरी आँखों में मेरी, पर मैं सोया नहीं, बरसों से
ये दुआ है मेरी रब से, तुझे आशिकों में सबसे
मेरी आशिकी पसंद आये ,
मेरी आशिक़ी पसंद आये ,
उनके हाथों की मेहंदी पे नाम हो मेरा,
जितने भी दिन जियूँ बस साथ हो तेरा
जब से शामों में तेरी हम शामिल हुए,
तुम ख़ुदा की तरह मुझको हासिल हुए
तेरी खातिर हथेली पे रख कर ये दिल, तड़प रहा, बरसों से
ये दुआ है मेरी रब से, तुझे आशिकों में सबसे
मेरी आशिकी पसंद आये ,
मेरी आशिक़ी पसंद आये
अल्फाज़
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