तेरी खातिर




लिख रहा हूँ कुछ, खातिर तेरी

कैसा लगा बता भी देना 

पढ़ कर मेरे लफ़्ज़ों को ज़रा, शरमा भी देना 

मुरझा जाएं ये अल्फाज़ मेरे, तड़प के तेरी यादों में, 

उससे पहले इन्हे लबों से लगाकर मुस्कुरा भी देना 

अल्फाज़

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