हमारी दुनिया

हमारी दुनिया

तेरी ज़ुल्फ़ों के साये में, कुछ सपने सजाये हैं,
साथ चल सकें हम दोनों जिसपर, ऐसे रस्ते बनाये हैं। 

तेरी आँखों से हमने, कभी कभी काजल चुराया है, 
अपनी दुनिया का आसमान, उसी रंग से सजाया है।

तेरे सुर्ख होंठो की लाली, जो अपने होंठो से उतरी थी, 
उस लाली से अपनी दुनिया का, सूरज भी बनाया है। 

तेरी साँसों की ख़ुशबू को, कबसे संभाल रहा हूँ मैं, 
उस दुनिया के फूलों को, इसी ख़ुशबू से महकाया है। 

याद तो होगी तुम्हें, बालियों के पास, होंठों की गुदगुदी
उस गुदगुदी से, खातिर तुम्हारी, बिस्तर सजाया है।

अल्फाज़

हमारी दुनिया

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