इश्क़ मिजाज़ी हूँ ,


 इश्क़ मिजाज़ी हूँ ,



इश्क़ मिजाज़ी हूँ , 
अब क्या बुरा मानना हुस्न रंगीन मिल जाए , तो शेर निकल ही जाते हैं ,,

आपकी कसम, कसम खा के निकलते हैं घर से,
पर वो ऐसे बरसते हैं,के हम हर बार फ़िसल जाते हैं,,

- अल्फाज़

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