ख़ुद में तन्हा से हैं हम, कोई जंग छिड़ी सी लगती है,
किसी और का युद्ध नहीं ये, ख़ुद की लड़ाई लगती है।
संघर्षों का दौर है ये, लड़ने में ही भलाई है,
लड़ते लड़ते जंग से हमने, मेहनत की सीख कमाई है।
दौर बुरा हो या अच्छा हो, यूँ ही गुज़रता जायेगा,
जीतेगा इस युद्ध को वो , जो आखिर तक टिक पायेगा।
रौंद मुश्किलें कदम तले, ये सीढ़ी हमको चढ़नी होगी,
याद करे इतिहास हमें, कुछ ऐसी रचना गढ़नी होगी।
पल पल रोते रहने से, व्यर्थ समय हो जायेगा,
अनंत काल की गर्तों में, ये नाम कहीं खो जायेगा।
उठो, चलो, और लड़ते जाओ, संघर्षों से भीड़ते जाओ,
जीत हमारी ही होगी, बस तान के सीना जीते जाओ।।।
अल्फाज़
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