समेट कर बाहों में , लिपट के तुमसे सो जाऊँ
कानों में कहते कहते कुछ, तुझे उस दुनिया में ले
जाऊँ
जब सीने से तू अपने , मेरी धड़कन सुन पायेगी
डोर तेरे मन की फ़िर, मेरे मन से जुड़ जायेगी
साँसे तेरी मेरी बस फिर सन्नाटे में गूंजेगी
तेरी रूह से मिलकर रूह मेरी, जन्मों जन्मों तक झूमेगी
-अल्फाज़
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