वही रुमाल

वही रुमाल


अब भी इंतज़ार में खिड़की पर आती हो क्या 
कल गुज़रा था गली से तो वही रुमाल देखा था
जिसमे रख कर तुमने मुझे पहला पैगम् भेजा था 


अल्फ़ाज़

Comments