सियासत on June 13, 2020 Get link Facebook X Pinterest Email Other Apps सियासतें लौट रही है ज़रा संभल कर लिखिये "कलम" तो "कलम" उंगलियाँ भी "कलम" हो सकती हैं। आज़ादी बस कहीं एक सपना सा न रह जाए, आवाज़ ज़रा धीरे उठाइये, वरना गरदन भी कलम हो सकती है अल्फाज़ Comments
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if any one have doubts then plz let me know