जवानी भी क्या खूब होती है


जवानी भी क्या खूब होती है



ये जवानी भी क्या खूब होती है
हर हुस्न जन्नत की कोई हूर होती है। 

आशिकों का काफिला गलियों में सजा करता है,
ख़ास दोस्त ही जवानी में कान भरा करता है। 

भाई वो तुझे देख के मुस्कुरा गयी, 
ये इश्क़ आशिक़ो का, यहीं से शुरू होता है। 

बात भले एक हद तक जाकर रुक सी जाए, 
पर ये कहानी हर मुहल्ले में मशहूर होती है। 

ये जवानी भी क्या खूब होती है
हर हुस्न जन्नत की कोई हूर होती है। 

इस प्यार में यूँ ही एक अरसा गुज़र जाता है
जब टूट ता है दिल, तो ये घर उजड़ जाता है। 

फिर सिलसिला ये,आँसुओं का शुरू होता है, 
सवान में, इनकी खातिर,ये सारा आसमाँ रोता है। 

कुछ दिनों बाद वही दोस्त, फिर नज़र आता है, 
वो तुझे देख रही है, मुस्कुरा के बताता है। 

सही कहा हैः 

ये जवानी भी क्या खूब होती है
हर हुस्न जन्नत की कोई हूर होती है। 

अल्फाज़





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