अतीत की सुरंग



 अतीत की सुरंग, और यादों धुंध, 
आज फ़िर से ताज़ा हुए,बीते पलों के वो रंग,, 

मिट्टी से मैले वो सपने, जो हमने पन्नों पे उतारे थे

गीले हाथ गाँव के घर की दीवारों पर छापे थे,,

परियों की कहानियाँ सुनकर खुले आसमान में सोना, 

चिड़ियों के चेहेकने से आँखों का खुलना,, 

वो खेतों में सरसों की खुशबू, 

टिम टिम करते काली रातों के जुगनू ,, 

अतीत की सुरंग, और यादों धुंध, 
आज फ़िर से ताज़ा हुए,बीते पलों के वो रंग,, 

पूरी दोपहर बागों में बिताना, 

दिन भर बहती नेहरों में नहाना,, 

चलती रेल गाड़ी के पीछे दौड़ लगना, 

दूसरों की बाग़ से आम चुरा कर खाना,, 

रेत सी बिछ गयी थी उस वक़्त पर , 

आज आँखे भर गयीं , वो सब सोंच कर !!!

अतीत की सुरंग , और यादों धुंध 
आज फ़िर से ताज़ा हुए , बीते पलों के वो रंग - 

अल्फ़ाज़

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