दूर तक ये सफ़र





हम तुम हैं बेख़बर 
और दूर तक ये सफ़र,, 

कई समंदर आयेंगे, 
तूफान बढ़ते जायेंगे,, 

कई बार डूबना होगा 
कई बार तैर जायेंगे,, 

हर दर्द से बेखबर 
बहुत दूर तक ये सफ़र,, 

कई बार चोट खानी होगी,
मरहम ये वक़्त लगायेगा,, 

धीरे धीरे बढ़ना होगा, 
फिर वक़्त विराम लगायेगा,, 

ये संघर्षों की गाथा, 
जब लोग कहीं दोहराएंगे,, 

गीत हमारे विजयगान के,
हर ओर गुन्गुनायेंगे,, 

पर 
आज हम हैं बेखबर, 
और मीलों का ये सफ़र,,,,, 


-अल्फाज़ 

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