कब तक ये इंतज़ार होगा

और कब तक , ये इंतज़ार होगा 
के तुम्हें हमसे भी कभी प्यार होगा

अब तो बागों के फूल भी मुरझा चले हैं
कई सावन भी बरस के जा चुके हैं
कलियों ने भी खिलना छोड़ दिया 
नदियों ने भी रुख ये मोड़ लिया 

आ जाओ बन कर हरियाली 
मेरे जीवन की तुम खुशहाली
आखिर, कब तक ये इंतज़ार होगा
कभी हमसे भी तुम्हें प्यार होगा,,, 

तेरा चेहरा मन के सागर में, सारा दिन गोते करता है,
तेरे प्रेम बीज ये दिल मेरा, पल पल ये बोते रहता है, 
कभी अपने प्रेम के बीजों को आकर पानी दे जाओ, 
आधे आधे कब से हैं हम, हमें आकर एक बना जाओ, 

बोलो ना, कब तक ये इंतज़ार होगा, 
कभी हमसे भी तुम्हें प्यार होगा!!! 

अल्फाज़

Comments