कान्हा तेरा जोग





जोग लगाया जो तेरा ,

ये तन भी गया और

मन भी रहा ना मेरा ,

मैं तो हो गयी प्यार में तेरे राधा

पर आया ना तू  यमुना तट पर कान्हा

कहे मेरी पीड़ा बढ़ाये

कहे मोहे तू इतना सताये

अब तो जाग जाग के रैना

मेरे थकने लगे रे नैना

अंखियन म झाइं पड़ी हैं

अंसुअन की बरखा झड़ी है

साँसे जाएं कहीं अब रुकना

अब तो आज ओ मेरे सजना ...

जोग लगाया जो तेरा ,

कुछ भी रहा नहीं मेरा !!!!!


-अल्फ़ाज़

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