उजड़ा है शहर मेरा




उजड़ा है शहर मेरा,
बस ठोकरें हैं बाकी 
वो हँस रहें हैं देखो , 
मुझको बनाके झांकी 

उजड़ा है शहर मेरा 

दिल में कोई खलिश थी 
तो मुझसे आके कहते 
होती अगर खता तो 
मुझे तुम सज़ाएँ देते
कदमों से रौंदना क्या
बस रह गया था बाकी
उजड़ा है शहर मेरा

क्यों प्यार था सिखाया ,
दुनिया थी क्यों बसायी 
तुम हो गयी किसी की , 
मुझे मौत लेने आयी

उजड़ा है शहर मेरा , 
बस ठोकरें हैं बाकी 
वो हँस रहें हैं देखो ,
मुझको बनाके झांकी

 अल्फ़ाज़

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