ना जाने क्यों
गुम हैं ये रास्ते
मुझपे हैं हँसते
गिरते संभलते क़दम
ना जाने क्यों ,
सपना सा लगता
पल पल ठगता
दुनिया है या ये भरम
ना जाने क्यों ,
ठहर गया है
चलना ना चाहे
थम ने लगा मेरा मन
ना जाने क्यों
धड़कन रुकी हैं
साँसे बुझी हैं
घुट सा रहा है ये दम
ना जाने क्यों ,
गुम हैं ये रास्ते
मुझ पे हैं हँसते
गिरते संभलते क़दम
अल्फ़ाज़
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