अब जीना अंधेरों में, भी सीख जायेंगे
हो मेरी अगर ख़ता, या और कोई वजह
कह दो, नहीं तो हम, सनम टूट जायेंगे
मुझे आदत लगा के अपनी, फिर मोड़ लिया चेहरा
देख लो फ़िर पलट के, नहीं तो हम पीछे छूट जायेंगे
जो भी सपने थे दिखाये, अपना बना के तुमने
उन सपनों के सब साये, भी मुझसे रूठ जायेंगे
क्या मिल गया तुम्हें, कर के मुझे तबाह
अब जीना अंधेरों में, भी सीख जायेंगे
-अल्फाज़
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