मैंने कब कहा




मैंने कब कहा, के तुम हो नहीं हसीं 

दिलकशों से दिलकशी ,,

हो गए वो ख़फ़ा, बस इसी बात से ,, 

मेरे लख्त ए जिगर हम्नशी ,, 


मैंने कब कहा, के तुम से और हैं कई 

पर वो इंतज़ार में सही ,

हो गए वो ख़फ़ा , बस इसी बात से ,, 

मेरे करीम-ओ-रहनुमा हम्नशीं ,,

 - अल्फाज़

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