मेरी गज़ल का तसव्वुर




मेरी गज़ल का तसव्वुर , तेरी इनायत है
पाक कुरान में लिखी तू , कोई आयत है

मेरे रंगरेज़ मुझे तूने रंगा है ऐसा 
के बिन तेरे जो पड़ा जीना , तो कयामत है 

मेरे अल्फ़ाज़ों को भी तुमसे , कुछ शिकायत है 
इनके पन्नों पे उतरने की , इक रिवायत है
तेरे हुस्न ने इन्हें है तराशा , कुछ ऐसा 
के गज़ल का बनना मेरे लफ़्ज़ों की,इक जरूरत है 

मेरी गज़ल का तसव्वुर , तेरी इनायत है 
पाक कुरान में लिखी तू , कोई आयत है 

अल्फ़ाज़

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