उनकी याद


 coffee☕ का mug और खुली हुई किताब, 
होठों में फसा पेन ख़ाबों में फिर गुम् हूँ आज, 

कानों में बस मेरे guitar 🎸की धुन है, 

मन ना जाने किस के खयाल में गुम् है, 

कोई अनदेखा चेहरा है या कोई जाना हुआ सवाल,

जो भी हो पर सच में है बहुत कमाल, 

अरे लो ध्यान आया, मैं तो किताब पढ़ रहा था, 

पता भी ना चला मैं, किसके सपने गढ़ रहा था,
तुम भी ना कसम से बहुत ही अजीब हो, 

दिखती तक नहीं हो फिर भी इतने क़रीब हो, 

गुमसुम कर देती हो ,आकर बहकाने लगती हो, 

धीरे से कानों में मेरे सरगम गाने लगती हो, 

अरे जो भी हो आ जाओ ना, ऐसे मत तरसाओ ना 

अरे लो ध्यान आया मैं तो किताब पढ़ रहा था, 


coffee का mug और खुली हुई किताब,
होठों में फसा पेन ख़ाबों में फिर गुम् हूँ आज 

अल्फ़ाज़

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