शायरी 2

आँखे नहीं शमशीर थीं वो , जो चीर के सीना पार हुई,,
दूँ दोष ख़ुदा को या खुद को क्यूँ ऐसी हालात् यार हुई,, 
बस एक तमन्ना लेकर दिल में मरते मरते जीना है,,
कोई पता बता दे उन आंखों का जिनमे छुप कर रहना है,, 

अल्फ़ाज़

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