इस तरह तो,
ये रस्ता अनंत है ,,
कभी तो इस पर शीत है ,
तो कभी कभी बसंत है ,,
इस पथिक है तू ,
बढ़ना ही तेरा कर्म है
कठिनाई के संग जुड़ा ,
तेरे इस जीवन का मर्म है !
लिए हाथ में ज्ञान मशाल
अंधेरों को उजाला दे ,,
जिनको जरूरत है तेरी ,
बन वृक्ष उन्हें सहारा दे ,,
अविराम तेरा जीवन होगा
हर पल हर छण बढ़ना होगा ,
गतिमय रस्तों के बीच वहीं ,
थकना होगा सोना होगा ,,
यही सत्य है ,
ये रास्ता अनंत है
कभी तो इस पर शीत है ,
तो कभी कभी बसंत है ,
-अल्फ़ाज़
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